हिंदू धर्म में मकर संक्राति का त्योहार प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति होती है। इस तरह वर्ष में कुल मिलाकर 12 संक्रांति होती हैं क्योंकि सूर्य हर महीने में राशि परिवर्तन करता है, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, कर्क,तुला, मकर संक्रांति शामिल हैं। मकर संक्रांति 15 जनवरी साल 2020 बुधवार को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसारए दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन यानि सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए मकर संक्रांति के दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रिया-कलापों का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। देश के माना गया है। देश के दक्षिणी हिस्सों में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पंजाब में इसे लोहड़ी और मघी के रूप में मनायाजाता है। जबकि गुजरात और राजस्थान में लोग इस मौके पर रंग- बिरंगी पतंगों को आकाश में उड़ाकर जश्न मनाते है।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
- पौराणिक कथाओं और ग्रंथों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं।
- इसके साथ साथ ये भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों को पराजित करके उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था।
- इस त्यौहार को पिता और पुत्र के संबंधों में मजबूती और प्रेम का प्रतीक भी बताया गया है।
- ये वही दिन है जब पहली बार गंगा समुद्र में जा मिली थी क्योंकि राजा भगीरथ ने इस दिन अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था।
मकर संक्रांति वैज्ञानिक मत
केवल धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं मकर संक्रांति का त्यौहार महत्वपूर्ण होता है बल्कि इस दिन के पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक महत्व भी जुडा हुआ है। वैज्ञानिक की मानें तो मकर संक्रांति वाले दिन सर्य का ताप शीत के प्रकोप को कम करता है जिसके बाद से ही धीरे धीरे गर्मियाँ शुरू हो जाती है। इसलिए इस अवसर पर तिल गुड़ आर आदि गर्म चीजें खाने की मान्यता हैआयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इस दिन घी,तेल, तिल.गुड़, गन्ना, धूप और गर्म पानी का सेवन बेहद शुभ माना जाता है।
तिल के यह 6 प्रयोग देंगे मनचाही खशियां
विष्णु धर्मसूत्र में कहा गया है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए एवं स्वास्थ्य वर्द्धन तथा सर्वकल्याण के लिए तिल के छः प्रयोग पुण्यदायक एवं फलदायक होते हैं।
1. तिल, जल, स्नान
2.तिल दान
3. तिल भोजन
4.तिल जल अर्पण
5. तिल आहुति
6. तिल उबटन मर्दन।
मकर संक्रांति पर सूर्य के यह 12 नाम देंगे धन, यश, प्रसिद्धि और सम्मान 1.ऊँ.सूर्याय नमः 2. ऊँ.भास्कराय नमः'3. ऊँ.रवये नमः 4. ऊँ.मित्राय नमः 5.ऊँ. भानवे नमः 6. ॐ खगाय नमः 7. ॐ.पुष्णे नमः 8.ऊँ.मारिचाये नमः 9. ऊँ.आदित्याय नमः 10.ऊँ. सावित्रे नमः 11. ऊँ.आर्काय नमः 12. कॅ.हिरण्यगर्भाय नमः
संक्रांति के सबसे खास सूर्य मत्र इनके जप से होगा हर संकट का अंत
ॐ घृणि सूर्याय नमः
मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचडी
संक्रांति पर चावल, दाल, हल्दी, और सब्जियों की खिचड़ी बनती है. चावल चन्द्रमा का प्रतीक है, काली उरद की दाल शनि का प्रतीक है, हल्दी बृहस्पति और नमक शक्र का प्रतीक है, हरी सब्जियां बध से संबंध रखती हैं. खिचड़ी की गरमी मंगल और सूर्य से जुड़ी है. इस प्रकार खिचड़ी खाने से सारे ग्रह मजबूत होते हैं। मकर संक्रांति पर नए अन्न की खिचड़ी खाने से पूरे साल आरोग्य मिलता है। इस अनोख भोजन से शरीर नए मौसम के लिए तैयार होता है. खिचड़ी ताजी ही खाना चाहिए और इसके साथ घो ज़रूर खाना चाहिए।
मकर संक्रांति 4 उपायों से पूरी होगी हर मनोकामना
1.मकर संक्रांति के दिन तिल के दान का विशेष महत्व है। इसके अलावा इस दिन तिल के तेल का मालिश कर भी अच्छा माना जाता है। साथ ही तिल का उबटन बनाकर शरीर पर लगा सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से बुरा समय दूर होता है। समाज में मान.सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐसा माना माना जाता है कि इन उपायों को करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं।
2. मकर संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा से कृपा बनी रहती है। इस दिन जल में तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
3. मकर संक्रांति के दिन तिल से बनी वस्तुओं को खाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल से बनी चीजों को खाने से सूर्य प्रसन्न होते हैं। साथ ही सूर्य की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन खिचड़ी भी खाना चाहिए। इस दिन खिचड़ी खाने से शनि और राहु का प्रकोप खत्म होता ।
4. मकर संक्रांति के दिन गरीबों के बीच दान करना अत्यंत लाभकारक होता है। इस दिन गरीबों के बीच कंबल,तिल, गर्म कपडे आदि का दान करना चाहिए। इसके अलावे काले तिल और उड़द दाल का भी दान करना बेहद शुभ होता है।
राशि के अनसार दान करें
मेष राशि- तांबा की वस्तुएं, दही, कंबल, तिल। वृष राशि-चांदी, तिल, कंबल.गड मिथुन राशि-पीला वस्त्र, गुड़, तिल। कर्क राशि- तिल, गुड। सिंह राशि-गुड, गेहूं, तिल, एवं आटे से बना हुआ मिठाई। कन्या राशि-हरा मूंग, तिल, मीठा। तुला राशि- गुड, सात प्रकार के अनाज, तिल। वृश्चिक राशि- लाल वस्त्र, दही,तिल, पल्ली दाना। धनु राशि-पीला वस्त्र, गुड,ए तिल, फली, खिचड़ी। मकर राशि- कंबल, गुड, तिल। कुंभ राशि-कंबल, घी, वस्त्र, तिल, गुड। मीन राशि- चना दाल, तिल, गुड, पल्ली दाना,या अन्य मोठा।
सूर्य की किरणें सेहत के लिए सुखदायी ____ 15 जनवरी ऐसा दिन है, जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता ___ जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर का और गमन करते लगता है तब उसका किरण सहत आर शाति का बढ़ाती हैं। श्रीकृष्ण ने कहा था. भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता में कहा है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता। ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त हैं। इसके विपरीत सूर्य के दक्षिणायण होने पर पृथ्वी अंधकारमय होती है और इस अंधकार में शरीर त्याग करने पर पन: जन्म लेना पड़ता है।