कोरोना संक्रमण काल में जान और जहान के रक्षक - श्री साँई समर्थ

आज पूरा देश महामारी के सक्रमण से जंग लड़ रहा है।खतरनाक वायरस के संक्रमण को कम करने के लिए पूरा देश प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व मे एकजुट है। प्रधानमंत्री जी ने भी कहा कि "जान भी,जहान भी।" इस वायरस से बचने के लिए लाकडाउन का पालन और सोशल डिस्टेंसिंग ही एकमात्र उपाय है।शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होने के साथ ही सकारात्मक विचार वाला व्यक्ति किसी भी बीमारी से लड़कर अपनी रक्षा कर सकता है।



लाकडाउन के समय सकारात्मक सोच को बढ़ाने के लिऐ श्री सांई समर्थ का ध्यान करे।श्री सांई सत्चरित्र के अनुसार 1886 मे सांई बाबा दमा यानि अस्थमा से पीड़ित थे। बाबा ने रोग से छुटकारा पाने के लिये 72 घंटे की समाधि लगाकर बीमारी पर विजय प्राप्त की।लाकडाउन 24 मार्च यानि अमावस्या से प्रारभं हुआ था। अगली अमावस्या 22अप्रैल को है। 24 मार्च से 22 अप्रैल तक 30 दिन यानि 720 घंटे होते है।720 का  योग(7+2+0 ) 9  होता है। बाबा ने समाधि 03 दिन यानि 72 घंटे की ली तो उसका भी योग (7+2) 9 है।।बाबा ने अंतिम समय तक जनकार्य करते हुये लक्ष्मीबाई को 09 सिक्के दिये थे।नौ का अभिप्राय नवधा भक्ति से है। बाबा ने महानिर्वाण के 36(3+6=9)घंटे बाद बुधवार के दिन शामा के मामा लक्ष्मण (ज्योतिषी एवं ब्राह्मण थे) को स्वप्न देते हुये कहा कि " शीघ्र उठो,बापू साहेब समझता है कि मै मृत हूँ।


इसलिये वह तो आएगा नही ।तुम पूजन और काकड़ आरती करो।" 22 अप्रैल को 30 दिन पूर्ण होगे ,उस दिन भी बुधवार है। नव संवत 2077 का प्रांरभ बुधवार से ही हुआ। इस वर्ष का राजा भी बुध है। तन पवित्र सेवा किये,धन पवित्र कर दान।मन पवित्र हरि भजनसों,होत त्रिविधि कल्याण।।


शेष जानकारी पं. संदीप पाड़ेय सांई कथाकार,राम कथा,श्रीमद् भागवत् कथावाचक एवं जयोतिषाचार्य सांई समर्थ धाम सतना (म.प्र.) से मो.न. 7470823336,9302081077पर प्राप्त करे।